"रूदादे-ग़मे-उलफ़त की क़सम"(रुबाइ)

1 Part

347 times read

2 Liked

"रूदादे - ग़मे - उलफ़त  की क़सम,  हम   राज़े-तबस्सुम   पा  ही   गये !  इक   हर्फ़   न   निकला   होठों  से  और  आंख  में  आंसू  आ ...

×